Hungarian Cinema – समाजवाद और विरासत

तकनीक सस्ती होती गयी, सेंसर ने भी कम फिल्मों को सेंसर करना शुरू किया तोह लोगों की भी सिनेमा घरों में आमद बढ़ी। हंगरी के सिनेमा में नौजवानों को बढ़ावा देने में ‘balazs bela studio’ की भी ख़ास भूमिका रही जिसने कई नए फिल्मकारों को मौका दिया।

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विश्व सिनेमा में हंगरी के सिनेमा की अपनी एक विरासत रही है। 1950 से 1960 के दौर को हंगरी सिनेमा का सुनहरी दौर कहा जाता है , और यह भी चर्चित है के उस दौर के बाद, बहुत जल्द हंगरी सिनेमा ध्वस्त हो गया लेकिंग अब बन रही हंगरी की फिल्मों के बिम्बों पर उस समय की समाजवादी विचारधारा आज भी कायम है। हंगरी की तरह ही इसके सिनेमा का दौर भी वैसा ही रहा। कठिनाईयों से भरा।
1968 में समाजवाद के दौर में आई हंगेरियन हिस्टोरिकल फ़िल्म “Stars of Eger” कामयाब मानी जाती है। इस फ़िल्म में तुर्क राज़ के अधीन हंगरी की व्यथा को दिखाया गया और तुर्की और हंगरी के बीच के युद्ध का भी वर्णन हुआ .जहां युद्ध में औरतों द्वारा दुश्मन फ़ौज़ पर उबलता पानी और गर्म मोम डाल कर उनको भगाया गया।

इसके साथ ही Istvan Szabo की 1981 में आई Mephisto फ़िल्म सबसे चर्चित हंगेरियन फिल्मों में से एक है। यह पहली अकादमी अवार्ड फ़िल्म भी है। यह फ़िल्म विश्व युद्ध जर्मनी के आस पास बुनी गयी।

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हंगरी में सिनेमा का सुनहरी दौर और फुटबॉल का सुनहरी दौर भी साथ साथ चले। उसकी puskas Hungary नाम से , हंगरी के बड़े फुटबॉलर पर फ़िल्म बनी।

जब जब विश्व के महान फिल्मकारों का नाम आये उसमें mikos jancso का नाम जरूर आएगा। 1967 में आई The Red and the white, 1972 में आई Red Psalm हंगेरियन सिनेमा को प्रभाषित करती हैं।

युद्ध त्रासदी और अन्याय को दिखाने के लिए हंगरी के फिल्मकारों ने कॉमेडी को भी माध्यम बनाया। इस मकसद से कई हंगरी की फिल्मों में ताने और विडम्बना आम नज़र आती है। सबसे अच्छी example रहेगी peter Bacso की The Witness, जो के उस दौर के समाजवाद पर एक कमाल का व्यंग्य थी।

हंगरी के सिनेमा की बात Bela Tarr की फिल्मों के बिना अधूरी है। रूसी फिल्मकार आंद्रेई तारकोवस्की के बाद अगर किसी निर्देशक ने वो स्थान हांसिल किया है तोह वो है Bela Tarr। 1994 में आई Satantago 450 मिनट लंबी फ़िल्म है जो के पूरबी यूरोप में समाजवाद के पतन पर आधारित थी। Almanac of fall, Werckmeister Harmoniak, The man from London जैसी फिल्में भी Bela Tarr की देन हैं।

1960 से 1970 का दौर हंगेरियन सिनेमा के लिए नयी ख़ुशी ले कर आया । नयी सोशलिस्ट सरकार ने फिल्मकारों कलाकारों को कई प्रकार की कलात्मक छूटें दीं। फ़िल्म स्टूडियोज पर फिल्मकारों ने अपनी धाक जमानी शुरू की जिससे फ़िल्म विशुद्ध कला के रूप से बन पाये। तकनीक सस्ती होती गयी, सेंसर ने भी कम फिल्मों को सेंसर करना शुरू किया तोह लोगों की भी सिनेमा घरों में आमद बढ़ी। हंगरी के सिनेमा में नौजवानों को बढ़ावा देने में ‘balazs bela studio’ की भी ख़ास भूमिका रही जिसने कई नए फिल्मकारों को मौका दिया।

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उस दौरान हंगरी का सिनेमा पश्चिमी आधुनिकतावाद से प्रभावित रहा लेकिन उसके साथ चेक सिनेमा, पोलिश सिनेमा और फ्रेंच सिनेमा से भी कुछ तकनीक और narrative styles को follow किया गया।

आज के वक़्त में अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म समारोह में पहुँच रही कई हंगरियन फिल्मों ने वहाँ के सिनेमा को दुबारा जीवित किया है। इस साल हंगरी की फ़िल्म “son of saul” को ऑस्कर अवार्ड मिलना इस मुल्क के सिनेमा के लिए रहत की बात है। फ़िल्म प्रेमियों और इंडिपेंडेंट फ़िल्म कंपनियों की नज़र अब हंगरी के सिनेमा पर है।

 

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Gursimran Datla

 

 

Author: Gursimran Datla

Film Programming - Film-making and Researcher on Film Criticism.

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