कल फिर जब कोई शाम उदास होगी
मैं
दूर कहीं
पहाड़ों पर
वादियों में
एक छोटे से टी स्टाल की
पिछली बारी से सटे
पुरानी लकड़ी के बने बैंच पर बैठा
बारी से दिखती नदी को निहारता
चाय पीता हुआ मिलूंगा
क्योंकि
बस इतना सा ही जहां मुझे पसंद है
पहाड़
वादियाँ
छोटा सा टी स्टाल
पिछली बारी
पुरानी लकड़ी का बेंच
नदी
और
चाय
बाकी सब
कशमकश है
ज़िन्दगी नहीं।
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